सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहली बार अपराध करने पर भी गिरोह का हिस्सा बनने के बाद गैंगस्टर ऐक्ट के तहत आरोपों का सामना करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा किसी गैंग का सदस्य जो अकेले या सामूहिक रूप से अपराध करता है, उसको गैंग का सदस्य कहा जा सकता है और गैंग की परिभाषा के भीतर आता है, बशर्ते कि उसने गैंगस्टर अधिनियम की धारा 2(बी) में उल्लिखित कोई भी अपराध किया हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम और गुजरात आतंकवाद नियंत्रण और संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम की तरह यूपी गैंगस्टर ऐक्ट के तहत ऐसा कोई विशेष प्रावधान नहीं है जिसमें कहा गया हो कि गैगस्टर ऐक्ट के तहत मुकदमा चलाने के लिए आरोपी के खिलाफ एक से अधिक अपराध या FIR/आरोप पत्र हों।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट द्वारा CRPC की धारा 482 के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए गैंगस्टर अधिनियम, 1986 की धारा 2/3 के तहत सुनाए गए फैसले को सही ठहराया। मामले की सुनवाई के दौरान यूपी सरकार ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि एक भी प्राथमिकी / आरोप पत्र पर भी गैंगस्टर अधिनियम की धारा 2 (बी) में सूचीबद्ध असामाजिक गतिविधियों के लिए गैंगस्टर अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।
रिपोर्ट : विशाल शर्मा एंड सचिन कुमार ।।