रंग को लेकर ऐसा पागलपन मैंने कहीं नही देखा, मैं उत्तरप्रदेश की बात करता हूँ, यहाँ रोडवेज बसों को ऑरेंज कर दिया है, दीवारों को ऑरेंज कर दिया, पिलर से लेकर कुर्सी तक, चेयर पर पड़ी टॉवल से लेकर हॉस्पिटल में पड़े कर्टन्स तक। मुख्यमंत्री कार्यालय, पंचायत कार्यालय, स्कूल बस अड्डे, पुलिस स्टेशन, शौचालय, सब्ज़ी के ठेले, कूड़ा उठाने वाली गाड़ी,पोस्ट ऑफिस, सचिवालय से लेकर सारे सरकारी पोर्टल्स के बैकग्राउंड, न्यूज़ चैनल्स के ‘लोगो’ तक। स्कूलों में जो बच्चों को बैग दिए वो भी ऑरेंज, कॉपी किताबों के कवर, लैपटॉप पेट्रोल पंप, पार्क, सिनेमा, झूले, गमले, लाइटे सब ऑरेंज। हाइवे होर्डिंग्स, टोल प्लाज़ा, चौराहे गेट, मूर्ति तस्वीरें मार्गो के पत्थर, स्मृति चिन्ह, सरकारी मेले तक। जहाँ योगी जी जाते है वहाँ सोफा टेबल, रूम की पिलो बेडशीट तक ऑरेंज, मंच फूलों की सजावट, सारे सरकारी प्रोग्राम्स के ऐड। गले मे पड़ा मफ़लर पगड़ी मोज़े तक। दुनिया भर में रंग का या पागलपन मैंने कहीं नही देखा। ईसाइयों में सफेद रंग पर लाल क्रॉस शुभ माना जाता है लेकिन किसी भी ईसाई देश में सबको इसी रंग में नही रंगते। कम्युनिस्ट के लिए लाल रंग महत्त्वपूर्ण है लेकिन कम्युनिस्ट भी हर चीज़ लाल नही कर देते। इस्लाम में कोई रंग किसी भी रंग पर श्रेष्ठ नही है, हज़रत मुहम्मद साहब के लश्कर में झंडा काला, सफेद ऑरेंज भी रहा। गुम्बदे ख़िज़्रा का रंग हरा है जिसको देखकर लोग हरे को वैल्यु देते है पाकिस्तान में भी हरे रंग को लेकर थोड़ा पागलपन है लेकिन उनके यहां भी सबकुछ हरा नही है, जबकि हरा इस्लामी रंग नही है, अरब तक में हर चीज़ हरे रंग की नही है। चीन में हर चीज़ लाल नही है और न ऑस्ट्रेलिया में हर चीज़ पीली और न नीदरलैंड में हर चीज़ ऑरेंज, कोई देश इस हद तक रंग को लेकर पागल नही है, मेरे समझ में नही आता कोई कैसे ऐसी मूर्खता कर सकता है।
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