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रेड्डी ने तीन राजधानियां बनाने का दिया था प्रस्ताव

रिपोर्ट :- दीपक कुमार शामली।। आंध्र प्रदेश के लिए राजधानी और इसकी भौगोलिक स्थिति का भाग्य इसके विभाजन के 10 साल बाद भी अधर में लटका हुआ है। कारण यह है कि हैदराबाद 2 जून से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की संयुक्त राजधानी नहीं रह जाएगी। इसके अलावा 1.4 लाख करोड़ रुपये की सार्वजनिक संपत्ति के बंटवारे जैसे मामले भी अभी अधर में लटके हुए हैं। आंध्र प्रदेश की सत्तारूढ़ वाईएसआरसीपी और प्रमुख विपक्षी तदपा अपने-अपने दावों पर अभी कायम हैं। रेड्डी ने विकेंद्रीकरण और कल्याण-केंद्रित शासन का समर्थन किया था और अमरावती को विधायी, कुरनूल को न्यायिक और विशाखापत्तनम को कार्यकारी राजधानी के रूप में बनाने का प्रस्ताव दिया था। 13 मई को एक साथ हुए लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले रेड्डी ने प्रदेश की जनता से विशाखापत्तनम को राजधानी बनाने का वादा करते रहे हैं। लेकिन कानूनी अड़चनों के कारण उनके वादों को पूरा होने पर संदेह है। तीन राजधानी शहरों के प्रस्ताव से संबंधित मामले सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं।

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