रिपोर्ट :- दीपक कुमार शामली।। पटना : बड़ी खबर बिहार से जहां सरकारी स्कूलों की टाइमिंग एक बार फिर से बदल गई है। अब सुबह साढ़े छह बजे से सुबह साढ़े 11 बजे तक कक्षाएं संचालित होंगी। वहीं, प्रारंभिक स्कूल के बच्चों को साढ़े 11 से 12.10 तक मिड डे मील दिया जाएगा। इसके साथ ही सुबह साढ़े 11.30 से 12.10 तक 9 से 12 तक के लिए विशेष कक्षा का संचालन किया जाएगा। नये आदेश के तहत शिक्षक और कर्मचारी दस मिनट पहले स्कूल पहुंचेंगे। बता दें कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ के आदेश पर नया शेड्यूल जारी किया गया है।बता दें कि मध्याह्न भोजन के लिए स्कूल टाइमिंग को लेकर मुहर लगी है और 10 जून से 30 जून तक के लिए टाइमिंग बदल दी गई है। इस बीच नये जारी शेड्यूल को लेकर भी विरोध के स्वर उभर रहे हैं। दरअसल, कक्षा संचालन के बाद मध्याह्न भोजन दिए जाने को लेकर सवाल उठाया जा रहा है। शिक्षक संघ ने कहा है कि छुट्टी के बाद बच्चे क्यों रुकेंगे। बता दें कि दो दिन पहले ही एसीएस ने बड़ा आदेश दिया था कि स्कूलों की मॉनिटरिंग जारी रहेगी, लेकिन स्कूलों की टाइमिंग जिला शिक्षा पदाधिकारी तय करेंगे। इसको लेकर उन्होंने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश दिए थे। उन्होंने तय किया है कि जिला शिक्षा पदाधिकारी स्कूलों की टाइमिंग तय करेंगे। बता दें कि केके पाठक ने एसीएस पद पर रहते हुए जिलाधिकारियों को कोई आदेश जारी करने पर रोक लगा रखी थी।
110 साल पुराना है कानपुर में हटिया स्थित बुद्धादेवी मंदिर, बुद्धादेवी को चढ़ाई जाती हैं हरी सब्जियां
मां दरबार आने वाले हर भक्त की झोली भरती हैं। लोग भी मातारानी को प्रसाद के रूप में मिठाई का भोग लगाते हैं। पर एक मंदिर ऐसा भी है, जहां मां को ताजी सब्जियां अर्पित की जाती हैं। हम बात कर रहे हैं हटिया स्थित बुद्धा देवी मंदिर की। अन्य दिनों की अपेक्षा यहां बुधवार को काफी भीड़ रहती है। नवरात्र पर देवी मां की सभी भक्तों पर कृपा बरसती है।
बुद्धादेवी मंदिर में बुधवार को अर्जी लगाने से मां सभी मनोकामना पूरी करती हैं। भक्त मां को प्रसाद के रूप में हरी सब्जियां चढ़ाते हैं। इनमें लौकी के टुकड़े, बैगन, पालक, टमाटर, गाजर, मूली रहती है। भक्त डलिया में सब्जियां रखकर ले जाते हैं। अन्य मंदिरों की तरह इस मंदिर में पूजा-पाठ को अलग से कोई पुजारी नहीं है, बल्कि यह काम यहां के माली करते हैं। मां बुद्धा देवी को सब्जियां प्रिय होने के कारण आसपास के इलाकों से काफी संख्या में किसान मां के दरबार में हाजिरी लगाते हैं। किसान अपनी अच्छी फसल के लिए मां से मुरादें मांगते हैं। अच्छी पैदावार होने पर मां को सब्जियां चढ़ाते हैं।
ऐतिहासिक है प्राचीन बुद्धादेवी मंदिर
मंदिर के रघुवीर माली के अनुसार, यह मंदिर करीब 110 साल पुराना है। जिस जगह पर मां बुद्धा देवी का मंदिर है। कभी यहां बगीचे में सब्जियों की पैदावार होती थी। बगीचे की देखरेख उनके पूर्वज करते थे। लोगों की मान्यता है कि रघुवीर माली के पूर्वजों के सपने में देवी मां आईं और बोली कि उन्हें इस बगीचे से बाहर निकालो। यह सपना करीब एक हफ्ते तक आता रहा। इसको लेकर वे परेशान रहने लगे। इसके बाद उन्होंने बगीचे के उस स्थान की खुदाई करने का फैसला किया, जहां स्वप्न में मां ने खुदाई करने को कहा था। करीब तीन दिन तक गहरी खुदाई के बाद मां की मूर्ति मिली। मूर्ति मिलने के बाद उसी स्थान पर एक चबूतरा बनवाया गया। इसी चबूतरे पर उस मूर्ति की स्थापना की गई, क्योंकि यह मूर्ति बुद्धू माली को मिली थी। इसीलिए इनका नाम बुद्धा देवी पड़ गया। देवी की यह मूर्ति सब्जियों के बगीचे से निकली थी। इससे उन्हें प्रसाद के रूप में सब्जियां ही चढ़ाई जाती हैं।