दिल्ली का जश्न हो गया , अब एक जश्न लखनऊ में भी होना चाहिए। क्यों कि उत्तर प्रदेश में 7 वर्ष से लगातार मुख्य मंत्री बने रह कर योगी आदित्य नाथ ने एक बड़ा रिकार्ड बना दिया है। इस से ज़्यादा समय तक उत्तर प्रदेश में लगातार अभी तक कोई और मुख्य मंत्री नहीं रह पाया है। जो सूरतेहाल है वह बताता है कि योगी इस रिकार्ड को तोड़ते हुए दस साल लगातार मुख्य मंत्री बने रहने का रिकार्ड भी बना सकते हैं। या फिर मोदी को फॉलो करते हुए तीसरे कार्यकाल में भी मुख्य मंत्री बने रह सकते हैं। जो भी हो योगी के इस रिकार्ड की भी चर्चा होनी चाहिए। तब और जब नेहरू के बाद मोदी के तीसरी बार लगातार प्रधान मंत्री बनने की बड़ी चर्चा है। योगी ने लगातार सर्वाधिक 7 वर्ष, 84 दिन उत्तर प्रदेश का मुख्य मंत्री बने रहने का रिकार्ड बना लिया है। 19 मार्च 2017 से 25 मार्च 2022 तक बतौर विधान परिषद सदस्य और फिर गोरखपुर शहर से बतौर विधायक 25 मार्च 2022 से लगातार मुख्य मंत्री बने हुए हैं।
सवाल है कि आगे भी बने रहेंगे योगी ?
यह सवाल इस लिए भी महत्वपूर्ण है कि वर्तमान में तमाम राजनीतिज्ञों की तरह योगी अभिनेता नहीं हैं। उन के जो भीतर है , वही बाहर है। वह कुछ छुपाते नहीं। बेधड़क बोल देते हैं। फ़िल्टर नहीं रखते। कि क्या कहना है , क्या नहीं कहना है। वह जानते हैं कि जो है , वही कहना है। योगी मुखौटा भी नहीं पहनते। अभी लोकसभा के सेंट्रल हाल में जब नरेंद्र मोदी को एन डी ए का नेता चुना गया तब लगभग सभी के चेहरे पर चमक थी। दर्प था। सभी मुस्कुराते हुए , सीना ताने हुए बैठे थे। इकलौते योगी ही थे जिन का चेहरा कुम्हलाया हुआ था। अवसाद था उत्तर प्रदेश में अपेक्षित सीट नहीं ला पाने का। चेहरे पर चमक का गुलाल नहीं , सीटें गंवाने का मलाल था। चेहरा बुझा-बुझा सा। अंग-अंग कुम्हलाया हुआ था। अभिनय नहीं , आह थी। चुनाव में झुलस जाने की आंच में चेहरा तप रहा था। यह किसी योगी से ही संभव था। ऐसे जैसे तमाम अभिनेताओं के बीच एक आदमी बैठा था। ऐसे जैसे आग में सोना तप रहा था।
राजनीति में दुःख का ऐसा कोलाज , ऐसा कोई कोना अब दुर्लभ है। बहुत दुर्लभ।
गौरतलब है कि बीते लोकसभा चुनाव में मोदी और योगी की जोड़ी बड़ी मशहूर रही है। उत्तर प्रदेश में हिट नहीं हुई यह अलग बात है। तो भी योगी ने उत्तर प्रदेश में क़ानून का राज स्थापित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। माफियाओं का अहंकार , गुरुर और उन का जाल तोड़ा है। अयोध्या , काशी की गरिमा को गर्व और गुमान दिया है। उत्तर प्रदेश में विकास की गंगा बहाई है।
इन सारी बातों के आलोक में राजनीति के इस रंगमंच पर उत्तर प्रदेश में बतौर मुख्य मंत्री योगी द्वारा बनाए गए इस लगातार 7 वर्ष के रिकार्ड का ज़िक्र किसी इत्र की तरह होना चाहिए। इस रिकार्ड की सुगंध दूर-दूर तक जानी चाहिए।
आइए जायज़ा लेते हैं उत्तर प्रदेश के अन्य मुख्य मंत्रियों के कार्यकाल और उन के रिकार्ड का। योगी के पहले अधिकतम दिन वाला संपूर्णानंद के नाम 5 वर्ष 345 दिन उत्तर प्रदेश का मुख्य मंत्री बनने का रिकार्ड दर्ज है। वाराणसी से विधायक रहे संपूर्णानंद 10 अप्रैल 1957 से 7 दिसंबर 1960 तक उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री रहे थे। तीसरे नंबर पर अखिलेश यादव का नाम दर्ज है जो 15 मार्च 2012 से 19 मार्च 2017 तक यानी 5 वर्ष, 4 दिन उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री रहे बतौर विधान परिषद सदस्य। संपूर्णानंद से पहले यह रिकार्ड गोविंद बल्लभ पंत के नाम दर्ज है। बरेली से विधायक रहे गोविंद वल्लभ पंत पहले 26 जनवरी 1950 से 20 मई 1952 और फिर 20 मई 1952 से 28 दिसंबर 1954 तक उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री रहे थे। इस तरह कुल 4 वर्ष, 336 दिन गोविंद वल्लभ पंत उत्तर प्रदेश के लगातार मुख्य मंत्री रहे थे। 13 मई 2007 से 15 मार्च 2012 तक बतौर विधान परिषद सदस्य मायावती भी 4 वर्ष, 307 दिन मुख्य मंत्री रहीं। इस के पहले 3 मई 2002 से 29 अगस्त 2003 तक मायावती 1 वर्ष, 118 दिन मुख्य मंत्री रही थीं। इस के पहले 1995 में 137 दिन और 1997 में 184 दिन मायावती मुख्य मंत्री रहीं।
सब से कम 20 दिन मुख्य मंत्री रहने का रिकार्ड सी बी गुप्ता के नाम दर्ज है। 14 मार्च 1967से 3 अप्रैल 1967 तक। इस के पहले सी बी गुप्ता 2 वर्ष, 299 दिन तक मुख्य मंत्री रह चुके थे। 7 दिसंबर 1960 से 14 मार्च 1962 और 14 मार्च 1962 से 2 अक्टूबर 1963 तक। 26 फरवरी 1969 से 18 फरवरी 1970 तक 357 दिन तक भी सी बी गुप्ता मुख्य मंत्री रहे। सुचेता कृपलानी 2 अक्टूबर 1963 से 14 मार्च 1967 तक यानी 3 साल, 163 दिन मुख्य मंत्री रहीं।चरण सिंह एक बार 328 दिन और दूसरी बार 225 दिन मुख्य मंत्री रहे।
कमलापति त्रिपाठी 2 वर्ष 70 दिन और हेमवती नंदन बहुगुणा 2 वर्ष 22 दिन मुख्य मंत्री रहे। नारायण दत्त तिवारी तीन बार मुख्य मंत्री रहे और एक वर्ष कुछ दिन पूरा होते न होते हटा दिए जाते रहे। राम नरेश यादव 1 वर्ष 250 दिन , बनारसी दास 354 दिन और विश्वनाथ प्रताप सिंह 2 वर्ष 40 दिन मुख्य मंत्री रहे। श्रीपति मिश्र 2 वर्ष 15 दिन और वीर बहादुर सिंह 2 वर्ष 275 दिन मुख्य मंत्री रहे। मुलायम सिंह यादव तीन बार मुख्य मंत्री रहे। दो बार एक साल कुछ दिन तो तीसरी बार 3 वर्ष 257 दिन।
कल्याण सिंह भी दो बार मुख्य मंत्री रहे हैं। अतरौली से विधायक रह कर 24 जून 1991 से 6 दिसंबर 1992 तक एक वर्ष 165 दिन और दूसरी बार 21 सितम्बर 1997 से 12 नवंबर 1999 तक 2 वर्ष, 52 दिन जब कि रामप्रकाश गुप्त 12 नवंबर 1999 से 28 अक्टूबर 2000 351 दिन मुख्य मंत्री रहे। राजनाथ सिंह 28 अक्टूबर 2000 से 8 मार्च 2002 तक यानी 1 वर्ष, 131 दिन उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री रहे। कहने को कुछ घंटे जगदंबिका पाल ने भी मुख्य मंत्री पद की शपथ ली थी। वह अर्जुन सिंह की साज़िश थी कल्याण सिंह को हटाने की। जिस में राज्यपाल रोमेश भंडारी ने साथ दिया। लेकिन ज्यों जगदंबिका पाल ने शपथ ली , त्यों हाईकोर्ट ने जगदंबिका पाल की शपथ को अवैध घोषित कर दिया , आधी रात। इसी लिए किसी भी अभिलेख या आदेश में बतौर मुख्य मंत्री जगदंबिका पाल का नाम दर्ज नहीं है।
प्राण जाए पर वचन न जाए फ़िल्म में एस एच बिहारी का लिखा एक गीत है जिसे आशा भोसले ने ओ पी नैय्यर के संगीत में गया है : चैन से हमको कभी आपने जीने ना दिया ! उत्तर प्रदेश के तमाम मुख्य मंत्री या तो केंद्र द्वारा कठपुतली बनाने , बर्खास्त होने या फिर परिस्थितिवश , साझा सरकार होने के कारण अपना कार्यकाल कभी पूरा नहीं कर सके थे। इंदिरा गांधी , राजीव गांधी ने कांग्रेसी मुख्य मंत्रियों को भी ताश की तरह फेंटा ही , अटल बिहारी वाजपेयी ने भी कल्याण सिंह को राजनाथ सिंह की महत्वाकांक्षा की भेंट चढ़ा दिया। कल्याण सिंह को हटा कर पहले रामप्रकाश गुप्ता को मुख्य मंत्री बनाया फिर अंतत : राजनाथ सिंह को मुख्य मंत्री बना दिया। कल्याण सिंह को चैन से नहीं रहने दिया। कई बार योगी के चैन में भी खलल पड़ते देखा गया है। वह तो योगी हैं कि सारी बाधाओं को जाग मछेंदर , गोरख आया के बल पर सारी बलाएं टाल देते रहे हैं। देखना दिलचस्प होगा कि नरेंद्र मोदी अपने रिकार्ड के साथ योगी के रिकार्ड को भी बनते रहने देते हैं या फिर अपने पूर्ववर्तियों की तरह योगी को यह गाना गाना देने के लिए मज़बूर कर देते हैं : चैन से हमको कभी आपने जीने ना दिया !