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19 साल की गौरी के आरी से कर दिए थे टुकड़े, नौ साल जेल में बंद रहा हिमांशु, कैसे मिल गई जमानत

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 9 साल पहले गौरी हत्याकांड ने सबको झकझोर कर रख दिया था। हिमांशु प्रजापति पर हत्या का आरोप लगा था। हिमांशु ने एकतरफा प्यार में गौरी के शरीर को आरी से टुकड़े-टुकड़े कर बोरियों में भरा था। शहीद पथ के किनारे अलग-अलग स्थानों पर उन टुकड़ों को फेंक दिया था। पुलिस ने तब हत्याकांड का पर्दाफाश किया था। उनके खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। कोर्ट में प्रभावी पैरवी न होने से आरोपी को फायदा मिला। हाई कोर्ट ने आरोपी हिमांशु प्रजापति को इस मामले में जमानत दे दी। हाई कोर्ट के फैसले के बाद अब उस खौफनाक घटना की चर्चा शुरू हो गई है।

क्या है पूरा मामला

लखनऊ के अमीनाबाद में 19 वर्षीय लॉ स्टूडेंट गौरी श्रीवास्तव रहती थी। स्वभाव से वह काफी खुशमिजाज और खुले विचारों की मॉडर्न लड़की थी। पिता शिशिर श्रीवास्तव की अमीनाबाद में ही एक दुकान है। इस दुकान में इंटीरियर डेकोरेशन का सामान बिकता है। गौरी की मां तृप्ति श्रीवास्तव एक हाउसवाइफ हैं। गौरी उनकी एकलौती बेटी थी। परिवार खुशहाल था, लेकिन 1 फरवरी 2015 की घटना ने परिवार को हैरान कर दिया। इस प्रकार के घटना की कल्पना तृप्ति और शिशिर ने कभी नहीं की थी। इस दिन दोपहर 12:30 बजे गौरी अपने पिता की जैकेट को ड्राइक्लीनिंग करवाने घर से निकली थी। गौरी ने मां से मंदिर जाने की बात कही थी। वह आखिरी बार था जब दोनों ने गौरी को आखिरी बार देखा था। गौरी घर से निकली, लेकिन शाम चार बजे तक घर नहीं लौटी। चिंतित मां ने गौरी को फोन लगाया। बेटी फोन नहीं उठा रही थी। लगातार फोन करती रही और कोई उत्तर नहीं मिल रहा था। परेशान मां ने पिता शिशिर को फोन लगाया। उन्हें बताया कि बेटी अब तक घर नहीं लौटी है। फोन भी नहीं उठा रही है। पिता ने भी फोन लगाना शुरू किया। कई बार फोन लगाने पर एक लड़के ने फोन उठाया। उसने कहा कि आप टेंशन मत लो। रात तक गौरी घर लौट आएगी। इसके बाद फोन काट दिया। पिता ने दोबारा कॉल किया तो लकड़े ने वही बात दोहराई। उन्होंने कहा कि गौरी से बात कराने को कहा तो फोन काट दिया।

परेशान होते रहे माता-पिता

शाम के पांच बज गए थे। परेशान पिता घर लौट आए। पत्नी पहले से परेशान थी। उन्होंने पत्नी से कहा कि कुछ देर इंतजार करते हैं। उन्होंने अंदाजा लगाया कि गौरी दोस्तों के साथ होगी। शाम गहराई तो गौरी की मां घबराने लगी। उन्होंने फिर से गौरी को फोन लगाया। एक बार फिर लड़के ने फोन उठाया। उसने बताया कि गौरी उसके साथ ईको पार्क में है। कुछ देर में वह घर पहुंच जाएगी। मां ने लड़के से बात कराने को कहा तो उसने फोन काट दिया। माता-पिता को लड़का संदिग्ध लगने लगा। उन्होंने पुलिस को इसकी जानकारी देने की बात कही। हालांकि, इससे पहले फिर गौरी को फोन लगाया। लड़के ने फोन पर कहा कि गौरी की तबीयत ठीक नहीं है। वह उसे लेकर एसजीपीजीआई अस्पताल जा रहा है। माता-पिता बदहवास अस्पताल पहुंचे। वहां गौरी नाम की कोई मरीज नहीं मिली।

पुलिस में दर्ज कराया मामला

गौरी के माता-पिता इसके बाद ईको पार्क पहुंचे। उन्हें गौरी नहीं मिली। शाम के 7 बज गए। एक बार फिर उन्होंने गौरी को फोन किया। अब फोन स्विच ऑफ बता रहा था। चिंतित माता-पिता अमीनाबाद पुलिस स्टेशन पहुंचे। पिता ने पुलिस के सामने पूरी घटना रखी। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी। रात बीत गई। कोई सूचना नहीं मिली। 2 फरवरी 2015 के दिन सुबह 7 बजे शहीद पथ रोड के पास कुछ लोगों ने एक बोरी सड़क पर पड़ी देखी। उसके आसपास कई कुत्ते घूम रहे थे। कुत्ते बोरी को सूंघ रहे थे। कुछ देर बाद कुत्तों ने बोरी को नोंच दिया। इससे इंसान के कटे हुए पैर निकले। कुत्ते उसे नोंचने लगे। इंसानी पैर के टुकड़े देखकर लोगों ने पुलिस को इसकी सूचना दी। कुत्तों को वहां से भगाया।

पुलिस ने शुरू की तलाश

मामले की जानकारी मिलते ही शहीद पथ पहुंची पुलिस ने पैरों को कब्जे में लिया। आसपास तलाश शुरू की। पास की झाड़ियों में उन्हें एक और बोरी मिली। उसमें कटे हुए इंसानी हाथ और सिर था। लड़की की लाश होने का अंदेशा हुआ। पुलिस ने तलाशी तेज की। शरीर के अन्य अंगों को भी बरामद कर दिया। सड़क पर बोरों में मिले इंसानी अंगों को रीअरेंज करने के लिए अस्पताल भेजा गया। लखनऊ में हुई इस घटना ने हर किसी को हैरान कर दिया था। खबर आग की तरह फैली। गौरी के माता-पिता पहले से परेशान थे। बेटी अब तक घर नहीं लौटी थी। टीवी पर जैसे ही लड़की की लाश मिलने की खबर देखी, वे डर गए। वे यह लाश बेटी की न होने की प्रार्थना करने लगे।

सच हुआ अंदेशा

सड़क पर मिली लाश के टुकड़ों को अस्पताल में रीअरेंज किया गया। इसके बाद 3 फरवरी को पुलिस ने गौरी के माता-पिता को अस्पताल बुलाया। वह लाश की पहचान करने पहुंचे थे। उन्होंने जैसे ही लाश देखी, फूट-फूटकर रोने लगे। यह लाश गौरी की ही थी। पुलिस ने अब इस मामले को मर्डर केस मानकर जांच शुरू की। न्यूज चैनल से लेकर सोशल मीडिया तक गौरी के मर्डर का मामला गरमा गया। पुलिस ने गौरी के कॉल डिटेल निकलवाई। इससे कुछ खास पता नहीं चला। गौरी के मोबाइल पर सबसे अधिक कॉल उसी के माता-पिता का था। अन्य जिन अन्य नंबरों पर गौरी की बात हुई थी, उनसे भी पुलिस को कुछ खास जानकारी नहीं मिल सकी। पुलिस ने इसके बाद गौरी की आखिरी लोकेशन का पता कराया। इसमें जानकारी मिली कि आखिरी बार वह तेलीबाग इलाके में थी। पुलिस ने गौरी के माता-पिता से पूछताछ की। तेलीबाग इलाके में गौरी के जानने वाले के बारे में पूछा। माता-पिता ने कहा कि वहां तो उनकी जान पहचान का कोई नहीं रहता है। न ही गौरी का कोई दोस्त वहां रहता है।

सीसीटीवी फुटेज जांच में मिला सुराग

पुलिस के हाथ कुछ भी नहीं आ रहा था। मीडिया इस मामले पर लगातार पुलिस को घेर रही थी। पुलिस की कई टीमें बनाई गई। एक टीम ने तेलीबाग के सीसीटीवी की पड़ताल शुरू की। केस में पुलिस को कुछ सुराग हाथ लगे। एक फुटेज में पुलिस को गौरी पैदल जाती दिखाई दी। वह फोन पर किसी से चैटिंग कर रही थी। आगे जाकर वह बाइक पर बैठ गई। बाइक को एक हैलमेट पहना लड़का चला रहा था। सीसीटीवी फुटेज से लड़के के बाइक का नंबर नहीं मिल पा रहा था। काफी कोशिशों के बाद पुलिस ने बाइक की कंपनी का पता किया। पुलिस ने आरटीओ ऑफिस से बाइक के बारे में जानकारी निकालने की कोशिश की, लेकिन उन्हें कुछ भी पता नहीं चला।

पूछताछ में हुआ बड़ा खुलासा

साइंटिफिक जांच में मामला खुलता न देख पुलिस ने मैनुअल पूछताछ पर जोर दिया। पुलिस को बाइक के मालिक के बारे में जानकारी मिल गई। पूछताछ में यह बात सामने आई कि बाइक हिमांशु प्रजापति की है। उसके गौरी का दोस्त होने की बात सामने आई। पुलिस ने हिमांशु की कुंडली निकाली। जानकारी हाथ लगी कि 23 वर्षीय हिमांशु राजस्थान के एक यूनिवर्सिटी से बीकॉम की पढ़ाई कर रहा है। साथ ही, एसएससी की तैयारी भी करता है। हिमांशु को जानने वालों को सीसीटीवी फुटेज दिखाया तो उन्होंने पहचान कर ली। पुलिस के अनुसार, गौरी आखिरी बार हिमांशु के साथ ही दिखी थी। पुलिस हिमांशु के घर पहुंची। वहां पता चला कि पूरा परिवार मुंबई गया हुआ है। केवल हिमांशु घर पर अकेला रह रहा था। वह घर पर मौजूद नहीं था। पुलिस ने उसकी तलाश शुरू की। जल्द ही उसे गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के बाद हिमांशु ने किसी प्रकार की घटना में संलिप्तता से इंकार किया।

पूछताछ में किया जुर्म कुबूल

पुलिस ने हिमांशु से सख्ती से पूछताछ की तो वह टूट गया। उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया। हिमांशु ने बताया कि एक साल पहले यानी 2014 में किसी कॉमन फ्रेंड के जरिए गौरी से उसकी मुलाकात हुई थी। गौरी काफी खुले विचारों की थी। उसके कई पुरुष मित्र भी थे। वह सबसे वॉट्सऐप पर बात करती थी। हिमांशु से भी उसकी बात वॉट्सऐप पर हुई थी। वे एक-दूसरे से मिले नहीं थे। बाद में दोनों एक-दूसरे से मिलने लगे। 2015 के जनवरी में हिमांशु का परिवार मुंबई गया। इसके बाद हिमांशु ने गौरी को घर बुलाया। वह मन ही मन गौरी से प्यार करने लगा था। उसे भी लगने लगा कि गौरी उससे प्यार करती है। लेकिन, गौरी उसे केवल अच्छा दोस्त समझती थी। हिमांशु ने जब उसे मिलने के लिए बुलाया तो वह इसी कारण राजी हो गई। 1 फरवरी 2015 को हिमांशु ने गौरी को बाइक पर बैठाया और अपने घर ले आया। दोनों बातें कर रहे थे। इसी दौरान हिमांशु ने उससे फोन दिखाने को कहा। गौरी ने फोन देने से इंकार किया तो हिमांशु ने उसका फोन छीना। हिमांशु ने गौरी से फोन का पासवर्ड मांगा।

फोटो देखकर भड़क गया था हिमांशु

हिमांशु ने गौरी पर दबाव बनाकर पासवर्ड ले लिया। फोन की जांच के दौरान हिमांशु ने देखा कि गौरी ने कुछ फोटो किसी पुरुष मित्र को भेजे थे। यह देखते ही हिमांशु भड़क गया। दोनों में झगड़ा होने लगा। इसी दौरान हिमांशु ने उसका गला दबा दिया। गौरी बेहोश हो गई। हिमांशु को लगा कि वह मर गई। घबरा कर कहीं चला गया। एक दोस्त को लेकर घर के बाहर आया। करीब दो घंटे तक दोनों के बीच बातचीत हुई। इसके बाद दोस्त वहां से चला गया। हिमांशु टेंशन में था। दुकान में जाकर खूब शराब पी। उसने गौरी के शव को ठिकाने लगाने की रणनीति पर काम शुरू किया। हिमांशु ने एक दुकान से आरी और बोरियां खरीदी। घर आकर गौरी के शव के टुकड़े किए। बोरियों में भरकर उन्हें शहीद पथ पर ठिकाने लगा दिया। घर लौटकर सफाई की। इसके बाद सो गया। पुलिस ने उसके खिलाफ मर्डर का केस दर्ज किया। इस मामले में जब गौरी का पोस्टमार्टम रिपोर्ट आया तो पुलिस के भी होश उड़ गए। हिमांशु ने गौरी का गला घोंट कर उसे मरा मान लिया था। गौरी जिंदा थी। वह कोमा में चली गई थी। हिमांशु ने उसे मरा मानकर आरी से काट दिया था।

पुलिस की लापरवाही से मिली जमानत

पुलिस की लापरवाही से आरोपी हिमांशु प्रजापति को जमानत मिलने का मामला सामने आया है। कोर्ट ने कहा कि 75 गवाह बनाए गए थे। इनमें से 14 गवाहों का परीक्षण कराया गया। अन्य कोई तथ्य नहीं पेश किए गए। कोर्ट ने मोबाइल बरामदगी को फर्जी बताया। कोर्ट ने कहा कि आरी पर मिले खून की जांच कराई तो यह बताया गया कि यह खून किसी लड़की का है। खून गौरी का ही है, इसके बारे में कुछ नहीं कहा गया। पुलिस ने गौरी के माता-पिता का डीएनए सैंपल जांच के लिए नहीं भेजा। पहले हाई कोर्ट ने 11 जुलाई 2022 को हिमांशु की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। अब जस्टिस सौरभ लवानिया की कोर्ट ने इस मामले में फैसला दिया है।

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