मानसून सीजन का प्रदेश में आगमन हो गया है तथा जनपद में मौसम विभाग के अनुसार आगामी दिवसों में वर्षा, वज्रपात व मेघ गर्जन की सम्भावना व्यक्त की गयी है। उक्त के सम्बन्ध में अवगत कराना है कि विगत वर्षों में देखा गया है कि अधिक वर्षा की अवधि में वर्षा के दौरान घाटो/तालाबों/पोखरों / नदी आदि में स्नान करने के दौरान बच्चों/किशोर / किशोरियों एवं अन्य व्यक्तियों की मृत्यु डूब कर व् वज्रपात से जनहानि की घटनाये काफी बढ़ जाती हैं। इन बहुमूल्य जिन्दगियों को बचाने के लिए निम्नलिखित बातों पर ध्यान देः-
डूबने की घटनाओं से बचावः-
1. खतरनाक घाटों/तालाबों/गड्डों के किनारे न स्वयं जायें न ही बच्चों को जाने दें। 2 यदि तैरना जानते हों तभी नदियों/तालाबी/घाटों के किनारे जाएँ। 3. डूबते हुए व्यक्ति को धोती, साडी, रस्सी या बांस की सहायता से बचाये तथा तैरना नहीं जानते हो तो पानी में न जाएँ और सहायता के लिए पुकारें। तालाबों/गड्डों/तेज पानी के बहाव में स्नान करने से रोकें। 4. बच्चों को पुल/तालाबों/गड्डों/ पुलिया/उँचे टीलों से पानी में कूद कर स्नान करने से रोकें । 5. यदि बहुत ही आवश्यक हो तो ही नदी के किनारे जायें. परंतु नदी में उत्तरते समय गहराई का ध्यान रखें। 6. गाँव/टोले में डूबने की घटना होने पर आस-पास के लोग आपस में एकत्रित होकर ऐसी दुःखद घटना की चर्चा अवश्य करें, कि किस कारण से इस तरह की घटना हुई और ऐसा क्या किया जाए कि इस तरह की घटना फिर कभी न हो। डूबे हुए व्यक्ति को पानी से निकाल कर तत्काल प्राथमिक उपचार निम्न प्रकार करें- 1. सबसे पहले देख लें कि डूबे हुए व्यक्ति के मुँह व नाक में कुछ फंसा तो नहीं है यदि है तो उसे निकाले। 2. नाक व मुंह पर उँगलियों के स्पर्श से जांच कर लें कि डूबे हुए व्यक्ति की सांस चल रही कि नहीं। 3. नब्ज की जाँच करने के लिए गले के किनारे के हिस्सों में उँगलियों से छूकर जानकारी प्राप्त करें कि नब्ज चल रही है कि नहीं। 4. नब्ज साँस का नहीं पता चलने पर डूबे हुए व्यक्ति के मुँह से मुँह लगाकर दो बार भरपूर सॉस दें व 30 बार छाती के बीच में दबाव दें तथा इस विधि को 3-4 बार दुहराएँ। ऐसा करने से धड़कन वापस आ सकती है व साँस चलना शुरू हो सकती है। 5. यदि डूबा हुआ व्यक्ति खाँस/बोल/सींस ले सकने कि स्थिति में है तो उसे ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करें। 6. मूर्चछा या बेहोशी आने पर पुनः सॉस देने व छाती में दबाव देने की प्रक्रिया शुरू करें। 7. उपरोक्त प्रक्रिया के बाद बचाए गए व्यक्ति को अविलम्ब नजदीकी डॉक्टर अथवा प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र पर ले जाएँ। उत्तर प्रदेश राज्य में आँधी-तूफान के साथ वज्रपात की काफी घटनाएं हो रही है। अत यह महत्वपूर्ण है की हम सभी बज्रपात से बचाय के उपायों का अनुपालन करें तथा “Ministry of Earth Science and Indian Institute of Tropical Metrorology, Pune” के सहयोग से वज्रपात की पूर्व चेतावनी/अलर्ट प्रेषित करने वाली एप्लीकेशन “दामिनी ऐप” को अपने मोबाइल में डाउनलोड कर ले। दामिनी ऐप लगभग 20 कि0 मी० के क्षेत्र में संभावित लाइटनिंग अलर्ट का नोटिफिकेशन लगभग 04 घंटे पूर्व प्रेषित करता है, जिससे व्यक्तियों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचने तथा बचाव का अवसर प्राप्त हो सके।जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण हापुड़ द्वारा जनहित में जारी।